बलौदाबाजार। बलौदाबाजार वनमण्डल कार्यालय में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 एवं वन अपराध प्रकरण अभियोजन संबंधित दस्तावेज तैयार करने हेतु दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन वनमण्डलाधिकारी गणवीर धम्मशील द्वारा किया गया।
इस अवसर पर वनमंडलाधिकारी ने कहा कि वन अपराध प्रकरणों की जांच, अभियोजन प्रक्रिया को विधिक दृष्टि से मजबूत करना वन सुरक्षा का महत्वपूर्ण अंग है। प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी को इसकी गहन जानकारी आवश्यक है।प्रशिक्षण के प्रथम दिवस की शुरुआत कृषानू चन्द्राकार द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के उद्भव, उद्देश्य एवं प्रमुख बिंदुओं पर केंद्रित रहा, जिसमें अधिनियम के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य एवं उसकी आवश्यकता पर विस्तृत जानकारी दी गई।दूसरे सत्र में श् आर. पी. साहू (सेवानिवृत्त उपवनमण्डलाधिकारी, वन) द्वारा “वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की महत्वपूर्ण धाराएँ” विषय पर लिया गया। उन्होंने व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से विभिन्न धाराओं की व्याख्या की, जो कि फील्ड में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।तीसरे सत्र में किशोर वासनिक एसडीओपी कसडोल द्वारा “वन्यजीव अपराध के प्रकरण निर्माण में होने वाली सामान्य गलतियां ” विषय पर जानकारी दी। उन्होंने जांच प्रक्रिया के दौरान साक्ष्यों के संकलन और कानूनी प्रपत्रों की शुद्धता पर विशेष बल दिया।अंतिम सत्र में यशवंत साहू (एडवोकेट, हाईकोर्ट बिलासपुर) द्वारा भारतीय न्याय संहिता एवं भारतीय न्याय प्रक्रिया संहिता की महत्वपूर्ण धाराओं पर व्याख्यान दिया गया।
कार्यक्रम में वनमण्डल के सभी परिक्षेत्र से वन अधिकारियों ने भाग लिया एवं प्रशिक्षण के दौरान सक्रिय रूप से सहभागिता करते हुए प्रश्नोत्तर सत्र में अपनी जिज्ञासाएं भी रखीं।
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