कसडोल । अजीम प्रेम जी फाउंडेशन द्वारा एफएलएन आधारित टीएलएम बनाना व उपयोग की पुख्ता समझ बनाना पर कार्यशाला आयोजित किया गया। जिसमें 16 शिक्षक और 5 वॉलंटियर अपने रुचि से पंजीयन करके कार्यशाला में शामिल हुये।
शिक्षक अपने रुचि से तय कर ले कि समय का बेहतर उपयोग कैसे किया जाय जिससे सीखने के लिए मिले । सीखने सिखाने के लिए एक समृद्ध ऐसा वातावरण जिसमें स्वयं को तैयार करना हैं और सीखे हुये अवधारणा को शेयर करना हैं और जब स्कूल खुले तो उसे अपने विद्यालय में में बच्चों को सीखने के लिए उपयोग करना हैं । ऐसा ही वातावरण मिनी माता शासकीय कन्या विद्यालय कसडोल प्रांगण में स्थित प्रशिक्षण हाल मे देखने मिला ।जहां शिक्षक अपने रुचि से पजियान कर शामिल हुये ।
तीन दिवसीय ग्रीष्म कालीन शिविर का आयोजन खण्ड शिक्षा कार्यालय कसडोल द्वारा अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन कसडोल के माध्यम से किया गया । जिसमें 16 शिक्षक व 5 वॉलंटियर ने स्वैच्छिक पंजीयन करके तीन दिन तक टीएलएम बनाने व उसका उपयोग को समझने के लिए उपस्थित हुये । इस आयोजन का उद्देश्य था -1 व्यावसायिक विकास और कौशल उन्नयन: शिक्षकों को नवीनतम शिक्षण विधियों, तकनीकी उपकरणों और पाठ्यक्रम परिवर्तनों से परिचित कराना, ताकि वे कक्षा में अधिक प्रभावी ढंग से शिक्षण कर सकें। 2 नवाचार और रचनात्मक शिक्षण रणनीतियों का विकास: शिक्षकों को समस्या- आधारित, सक्रिय और समावेशी शिक्षण तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना, जिससे छात्रों की रुचि और सीखने की गुणवत्ता बढ़े। 3 समूह सहयोग और अनुभव-साझाकरण: विभिन्न स्कूलों और विषयों के शिक्षकों को एक मंच पर लाकर उनके अनुभवों, चुनौतियों और सफलताओं को साझा करने का अवसर प्रदान करना। 4 ग्रीष्म कालीन अवकाश का बेहतर सदुपयोग : हर कोई अपने ग्रीष्म अवकाश का सदुपयोग करने के लिए उसका बेहतर उपयोग करने के सोचते हैं इसी उद्देश्य से यह शिविर था । 5 सहायक शिक्षण सामग्री निर्माण हेतु कौशल विकास : सहायक शिक्षण सामग्री निर्माण की कुशलता हमे कौशल उन्नयन की दिशा में लेकर जाएगा जो कक्षा के लिए हितकारी होगा ।
इन उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये हिन्दी ,अँग्रेजी व गणित के बुनियादी कौशल विकास हेतु टीएलएम का निर्माण करना व उसे कक्षा में सिखाने के लिए उपयोग करने के लिए आपस में सीखने सिखाने का अवसर था । शिक्षक सुबह से शाम तक ऐसे लगे रहते थे कि कब शाम हो जाता था पता नहीं चलता था । जितने भी टीएलएम बनाये उन्हे शिक्षक अपने विद्यालय के लिए अपने साथ लेकर गये । इसके लिए उन्हे सीखे टीएलएम को बनाने के विविध सामग्री प्रदान की गई हैं । जिससे वह और बना सके और बनाने के दौरान किसी भी तरह कि परेशानी न हो ।
प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शुरू होता था शाम 5 बजने के बाद भी शिक्षक निर्माण में लगे रहते थे । पहली बार अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन कसडोल द्वारा आयोजित ग्रीष्म कालीन शिविर को उपस्थित प्रत्येक शिक्षक ने बेहद पसंद किया। सबने कहा – यह बहुत कम दिन के लिए हुआ हैं हमे इसी तरह बहुत मजेदार गतिविधि और टीएलएम बनाना पसंद हैं, इसे 6 दिन तक चलना चाहिए । शिक्षकों के मांग पर आने वाले सत्र में मई महीने के पहली सप्ताह से ही करना शुरू किया जाएगा । जिसके लिए रुचि रखने वाले शिक्षक निःशुल्क पंजीयन करके शामिल हो सकते हैं । शासकीय विद्यालय के शिक्षकों के लिए सम्पूर्ण व्यवस्था संस्थान द्वारा किया जाएगा ।
शिक्षिका चंचल साहू प्राथमिक शाला गोरधा ने कहा यह शिविर मुझे मेरे शिक्षकीय जीवन का पहल शिविर हैं जहां हमारे प्रत्येक छोटे - छोटे समस्याओं का ख्याल रख रहे थे। खाने से लेकर ठंडी हवा व टीएलएम निर्माण के समय सुमधुर संगीत का चलना अपने आप में एक खुशनुमा माहौल था जिससे सीखने में ऐसे लगे रहते थे कि वहाँ से आने का मन ही नहीं करता था । शिक्षिका अंजनी श्रीवास ने कहा इसे हर साल करना चाहिए मैं उसमें शामिल होना पसंद करूंगी । जो टीएलएम बनाये हैं वह इतना आसान और सार्थक हैं कि झट से बना कर बच्चों को सीखाकर ही छोड़ेंगे। कोई खर्चीला नहीं केवल खड्डो व चार्ट पेपर से ही सब कुह बन जा रहा था । कविता पोस्टर से लेकर अक्षर व शब्द भंडार मुखौटा व कठपुतली बनाना तथा संख्या पूर्व अवधारणा से जोड़ व घटा मशीन बनाना व उपयोग को समझना मेरे लिए बहुत उपयोगी था । शामिल शिक्षक मनोज जाटवार, दिलीप यादव, लगनू पैकरा, श्रीकांत पाठक, महेश राम कोसरे, आकांक्षा साहू, नन्द लाल साहू , डोमन साहू , रामधनी पैकरा, आरती विश्वकर्मा व योगेश्वरी बघेल ने इस शिविर को बहुपयोगी व अवकाश के दिनों में अपने रुचि से शामिल होने का सार्थक उपयोग कहा । अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन कसडोल ने हमारे मन की इच्छा को समझते हुये इस तरह के सार्थक आयोजन किए हैं हम इन्हे धन्यवाद देते हैं। साथ ही इस तरह की रचनात्मक पहल लगातार करते रहने के लिए शुभकामना भी देते हैं । हमे विश्वास हैं आने वाले साल में शिक्षकों की जुड़ाव में और वृद्धि होगी ।
अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन के नरेन्द्र कहते हैं कि यह पहली बार तीन दिवसीय ग्रीष्म कालीन शिविर का आयोजन शासकीय विद्यालय के शिक्षकों के लिए निःशुल्क ग्रीष्म अवकाश में यह आयोजन एक अद्भुत अनुभव था जिसमें 19 शिक्षक स्वयं से पंजीयन करते हैं और 16 शिक्षक इसमें उपस्थित होकर जिस तरह मन लगाकर सीख रहे थे वह अपने आप में अद्भुत था। मेरा अभी तक का अनुभूति हैं शिक्षक निर्धारित समय के बाद जरा भी रुकना पसंद नहीं करते, जबकि 4;30 के बाद हर दिन 5 बजने के बाद भी जाना नहीं चाहते थे । अर्थात मन, लगन तथा वातावरण का संयोग था जिसके चलते काफी सुखद रहा । अन्य सदस्य झरना, नितेश और अंकिता ने बताया कि इस तरह के आयोजन को सुखद बनाने हमारी टीम ने काफी व्यवस्थित योजना बनाया, पंजीयन के लिए पर्याप्त समय दिये, साथ ही जिन टीएलएम को शामिल किए थे उन्हे हम सबने बनाकर उपयोग करके देखे । हमे विश्वास हो गया था कि जो भी शिक्षक आएंगे वह बड़े मन लगाकर सीखकर जाएँगे । टीम के चंद्रशेखर ने कहा कि शिक्षकों के अपने प्रोफेशनल क्षमता को अपने रुचि से बढ़ाने के लिए यह आयोजन था । समापन दिवस पर खण्ड स्रोत कार्यालय से आर डी पटेल व दिव्याङ्ग रिसोर्स पर्सन ने इस आयोजन को सबसे सार्थक व शिक्षकों के लिए लाभकारी बताये । अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन शासन के साथ मिलकर शासकीय विद्यालय के शिक्षकों के क्षमता वर्धन में सहयोग करने के लिए कार्य की शुरुआत करने जा रही हैं जिससे हमे शिक्षा विभाग को, समस्त सीएसी, समस्त प्रधानपाठक व सभी शिक्षक साथियों को भरपूर सहयोग करना हैं ताकि हमे सीखने के विविध रचनात्मक गतिविधियों से अवगत कराते रहे ।
इस दौरान कविता पोस्टर , कविता पट्टी, शब्द कार्ड, अक्षर कार्ड, मात्रा कार्ड, मात्रा यंत्र व मात्रा खिड़की, कहानी रंग मंच , मुखौटा व कठपुतली तथा गणित के संख्या पूर्व अवधारणा, अंक कार्ड, चिन्ह कार्ड, स्थानीय मान के पॉकेट कार्ड , बॉक्स , तीर, व्हील ,जोड़ मशीन व घटा मशीन का निर्माण और उपयोग पर विस्तृत बातचीत हुई । अंतिम दिवस सबने अपने क्षमता अनुसार अपनी व्यक्तिगत काला को प्रदर्शित किए । साथ छग लोकगीत पर सबने मिलकर समूह नृत्य किए । समापन धन्यवाद के साथ हुआ, अंत में सबको स्टेशनरी व टीएलएम प्रदान किए गए। सभी ने खुशी जाहिर किए ।
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