अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया है। इस हमले में जीबीयू-57 एमओपी बमों का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, इन बमों को ठिकाने तक ले जाने के लिए अमेरिका ने बी-2 बॉम्बर जेट लगाए थे। बी-2 बॉम्बर जेट बेहद घातक हैं। इनकी खासियत यह है कि इन्हें राडार भी नहीं पकड़ सकता। एक बी-2 बॉम्बर जेट दो जीबीयू-57 बमों को लेकर उड़ान भर सकता है। आइए जानते हैं आखिर क्या है अमेरिका के बी-2 बॉम्बर की खासियत...
राडार की पहुंच से दूर
बी-2
बॉम्बर में दो पायलटों के बैठने की जगह है। यह बहुत नीचे से उड़ान भरता
है। इसलिए आमतौर पर यह राडार की पकड़ से दूर रहता है। इसकी बनावट कुछ ऐसी
है मानों यह एक बेहद छोटी सी चिड़िया हो। इसकी फ्लाइंग विंग की डिजायन,
राडार एब्जॉर्ब करने वाले मटीरियल्स इसे और भी ज्यादा खास बनाते हैं।
कितना भार ले जा सकता है
बेहद
छोटे आकार के बावजूद बी-2 की क्षमता बेमिसाल है। यह 20 टन तक का भार उठा
सकता है। इसके चलते यह किसी मिशन के दौरान दो जीबीयू-57 एमओपी को साथ ले
जाने की क्षमता रखता है। इतना ही नहीं, यह 80 एमके 82 बम, 16 जेडीएमए या
फिर 16 परमाणु बी61/बी83 बमों को लेकर जा सकता है।
कितनी है इसको बनाने की लागत
अमेरिका
के बी-2 के निर्माण की लागत भी काफी ज्यादा है। एक बी-2 को बनाने में करीब
2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च होते हैं। इस तरह से सबसे महंगा मिलिट्री
एयरक्राफ्ट है। इसे नॉरथ्रॉप ग्रम्मैन ने तैयार किया है। एक बार ईंधन भरने
के बाद यह बॉम्बर 6 हजार नॉटिकल मील की उड़ान भर सकता है। इस बॉम्बर में
हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता भी है। इस तरह यह दुनिया में किसी भी
ठिकाने को निशाना बना सकता है।
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