छत्तीसगढ़ समेत मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा जैसे पड़ोसी राज्यों में लगातार चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशनों से नक्सली संगठन बैकफुट पर हैं। लगातार हो रही मुठभेड़ों के कारण नक्सलियों का संगठन कमजोर होता जा रहा है। नक्सली अब शांति वार्ता के लिए गिड़गिड़ाते नजर आ रहे हैं। नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी ने फिर प्रेस नोट जारी कर केंद्र सरकार से शांतिवार्ता की गुहार लगाई है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा है कि आपकी सरकार शांतिवार्ता के लिए तैयार हैं या नहीं, अपनी स्थिति स्पष्ट करें।
अमित शाह से मांगा जवाब
नक्सलियों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से प्रतिक्रिया भी मांगी है। नक्सली संगठन के केंद्रीय कमेटी प्रवक्ता अभय के नाम से यह प्रेस नोट जारी किया गया है। पत्र में शांति वार्ता के लिए केंद्र की मोदी सरकार तैयार हैं या नहीं, इस पर स्थिति स्पष्ट करने की बात कही गई है। पत्र में यह भी लिखा है कि नक्सल विचारधारा 16 राज्यों में है और हमारी संगठन से जुड़े लोग एक्टिव हैं। इसलिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की प्रतिक्रिया आनी चाहिए।
पहले भी जारी कर चुके हैं पर्चे
नक्सलियों का कहना है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की प्रतिक्रिया से ही शांतिवार्ता पर स्थिति साफ होगी। बता दें कि इससे पहले भी नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी ने 2 और बस्तर संभाग के नक्सल कमेटी ने दो बार प्रेस नोट जारी किया है। कुल चार बार खत लिखकर शांतिवार्ता की बात कर चुके हैं।
नक्सल नेता जवानों से घिरे, बैठक भी नहीं हो रही
नक्सली संगठन के केंद्रीय प्रवक्ता अभय ने पर्चे में यह भी स्वीकार किया कि छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर 26 नक्सली मारे गए हैं। उसका कहना है कि नक्सली शांति वार्ता के लिए हमेशा तैयार हैं। नक्सली संगठन हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आने के लिए बात करेंगे, लेकिन यह फैसला अकेले कोई नहीं ले सकता है। दरअसल, बस्तर में सुरक्षा बलों के लाखों जवान तैनात हैं। नक्सल ऑपरेशनों की वजह से नक्सली नेता ऑपरेशनों की जद में आ गए हैं। आलम यह कि नक्सली नेता बैठक करने में भी असमर्थ हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की प्रतिक्रिया पर चिंता
नक्सल प्रवक्ता अभय ने प्रेस नोट में यह भी लिखा है कि इससे पहले 25 अप्रैल को नक्सली संगठनों की ओर से केंद्र और राज्य सरकार से शांतिवार्ता की अपील की गई थी। इसमें कहा गया था कि जन समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए समय सीमा के साथ युद्ध विराम की घोषणा कर शांति वार्ता करें। इस पर तेलंगाना सरकार की ओर से तुरंत सकारात्मक प्रतिक्रिया देना सराहनीय है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार से जो प्रतिक्रिया आई वह चिंताजनक है।
केंद्र का रुख साफ, छोड़ दो हथियार
हालांकि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार और छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने यह साफ कर दिया था कि युद्ध विराम का सवाल ही नहीं उठता। हथियार छोड़े बगैर माओवादियों से शांति वार्ता करना संभव नहीं है। विजय शर्मा ने बार-बार यह घोषणा की है कि बिना शर्त शांति वार्ता करने के लिए सरकार तैयार है, लेकिन इसके लिए युद्ध विराम के बिना ही नक्सलियों को हथियार डालना होगा।
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