पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के गृह मंत्री ने भारत पर आरोप लगाया है कि भारत आतंकवादियों की मदद करने कर रहा है। मंत्री का कहना है कि सुरक्षा एजेंसी रॉ टीटीपी, बलूचिस्तान के आतंकियों को पैसा देती है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के हाल ही में शुरू किए गए सैन्य अभियान पर तीखी प्रतिक्रिया देने के बाद पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के गृह मंत्री ने बुधवार को भारत पर आतंकवाद को मदद देने का आरोप लगाया है। मंत्री ने कहा है कि वह प्रतिबंधित संगठनों तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) का एकमात्र निवेशक है, जो देश में आतंकी हमलों और अपहरणों को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार हैं।
मंत्री जियाउल्लाह लंगाऊ ने बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने दो प्रमुख आतंकवादी कमांडरों- टीटीपी के नसरुल्लाह उर्फ मौलवी मंसूर और इदरीस उर्फ इरशाद को गिरफ्तार किया है और फिर उनका रिकॉर्ड किया गया बयान भी दिखाया। वीडियो स्टेटमेंट में नसरुल्लाह ने दावा किया है कि वह दक्षिणी वजीरिस्तान की सरोघा तहसील का रहने वाला है और 2007 में टीटीपी में शामिल होने से पहले उसने मारे गए बैतुल्लाह महसूद के साथ काम किया था। उसने बताया कि वह उत्तरी वजीरिस्तान में 2014 के सैन्य हमले के दौरान अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में बस गया था। उसने बताया कि उसे जनवरी 2024 में एक योजना के बारे में जानकारी दी गई थी जिसके अनुसार एक बीएलए गाइड उसे स्पिन बोल्डक शहर के माध्यम से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की सीमा पार करने में मदद करके दक्षिणी बलूचिस्तान ले जाएगा। आतंकवादी के अनुसार, बीएलए मजीद ब्रिगेड के कमांडर बशीर जेब की इस योजना में मिलीभगत थी। नसरुल्लाह ने आरोप लगाया कि भारत की खुफिया एजेंसी रॉ इस सब के पीछे है, वह बीएलए-टीटीपी गठबंधन बनाना चाहती है और बलूचिस्तान के खुजदार में टीटीपी के ठिकाने स्थापित करना चाहती है।
उसने दावा किया कि टीटीपी प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद और संगठन के रक्षा मंत्री मुफ्ती मुजाहिम ने कहा कि बलूचिस्तान में पैर जमाने के पीछे टीटीपी और उसके मित्रों (रॉ) के तीन उद्देश्य हैं। उसने कहा, "चीनी नागरिकों को निशाना बनाने सहित चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाना, फिरौती के लिए अपहरण करना ताकि खुफिया एजेंसियों को बदनाम किया जा सके और बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देकर लोगों में अराजकता और हताशा फैलाना हमारे उद्देश्य हैं।" उसने दावा किया कि महसूद ने काबुल में भारतीय दूतावास में रॉ एजेंटों के साथ बैठकें कीं और इसे अफगान सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त था।
नसरुल्लाह के वीडियो बयान को दिखाने के बाद, लंगाऊ ने कहा, "विश्व को इस बात में कोई संदेह नहीं रहना चाहिए कि इस सब के पीछे भारत है।" उन्होंने कहा कि जहां टीटीपी ने "इस्लामिक व्यवस्था शुरू करने" की कसम खाई है, वहीं दूसरी ओर बीएलए उनका "वैचारिक विपरीत" है। उन्होंने आरोप लगाया, "उनकी सांठगांठ का मतलब सिर्फ़ इतना है कि उनका निवेशक एक ही है जो उन्हें दो नज़रिए से इस्तेमाल कर रहा है।" अगर आप बीएलए और टीटीपी या विदेश में बैठे उनके सदस्यों की वित्तीय सहायता या खुफिया जानकारी को देखें, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि रॉ उन्हें फंड दे रहा है।”
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