पोलावरम डेम आंध्र प्रदेश के लिए वरदान तो हमारे लिए अभिशाप से कम नहीं
कोन्टा
छत्तीसगढ़ की सीमा कोन्टा से कुछ ही दूरी पर आन्धा प्रदेश में गोदावरी नदी
पर बना पोलावरम बांध अब छत्तीसगढ़ के कोन्टा वासियों के लिए एक बड़ी
मुसीबत बनता दिखाई पड़ रहा है। आंध्र के पोलावरम में सन् 2018 में 2 . 5
किलोमीटर लंबे और 42.5 मीटर ऊंचे नदी को सीधे रोकता हुए काॅपर डेम का
निर्माण किया गया था। अब की बरसात में इसका पानी बैक वाटर के रूप में
कोन्टा के रिहायशी इलाकों में घुस चुका है।यह डेम भले ही आंध्र प्रदेश के
लिए वरदान है परन्तु छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लिए यह किसी अभिशाप से कम नहीं
है। परियोजना निर्माण स्थल से लगभग 150 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के कोन्टा
विकास खण्ड समेत मूलाकिसोली ग्राम तक डूबाने हेतु सवे कर2018 में भारत
सरकार को नक्शा सहित पीड़ित किसानों की सूची दी जा चुकी है।यह सर्वे
छत्तीसगढ़ की एक निजी कंपनी द्वारा किया गया था। वर्ष 2018 -2019 एवं 2020
में इस समस्या ने लोगों को बहुत परेशान किया था लेकिन इस साल समस्या ने
लोगों को बहुत परेशान किया था लेकिन इस साल समस्या ने विकराल रूप ले लिया
है।भले ही प्रशासन इसे बाढ़ का पानी कह रहा है लेकिन यह समस्या बांध के
कारण ही उत्पन्न हुई है गत वर्ष,2021 में शबरी का पानी रिहायशी इलाकों में
नहीं घुसा है।
छत्तीसगढ़ में विस्थापन की तैयारी शून्य
आन्ध प्रदेश
के प्रभावितों को समय रहते काॅलानो बनाकर विस्थापित किया जा रहा है। कोन्टा
विकास खण्ड में प्रभावित ग्रामों का भविष्य स्पष्ट नहीं होने के कारण किसी
भी प्रकार का विकास होता नजर नहीं आ रहा है। बिजली,आवास, स्कूल,आदि बन तो
रहे हैं लेकिन इनका भविष्य भी अंधेरे में नजर आ रहा है। शासन को पता है इस
लिए नवोदय स्कूल कोन्टा से दूर है।
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